कोरोना वायरस के संक्रमण से बेपरवाहन रहे युवा, खतरा उन पर भी कम नहीं

दिल्ली। कोरोना के बारे में आम धारणा है कि इससे बजर्गों- बच्चों को ज्यादा खतरा है। मगर विशेषज्ञों की मानें तो वायरस की चपेट में आने या बचे रहने के लिए उम्र सीमा मायने नहीं रखती। अमेरिका में ऐसे यवाओं की भी मौत हुई है. जिनका किसी बीमारी का इतिहास नहीं रहा और प्रतिरोधक क्षमता बेहतर थी।विशेषज्ञों का दवा विरो कि उनका प्रतिरक्षा तंत्र मजबत है तो संक्रमण नहीं होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया है कि यवाओं को भी सचेत रहना जरूरी है। विशेषज्ञों के मताबिक इस वायरस के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। यह यवाओं के लिए भी उतना ही जोखिम वाला साबित सकता है जितना कि बुर्जुगों और बच्चों के लिए सीमा कु खतरनाक है ।साइंस पत्रिका के एक लेख में इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. फिलिप मर्फी ने बताया है कि एसीई-2 जीन की भिन्नताएं हमारी रिसेप्टर (ग्रहण करने की क्षमता) को बदल देती हैं। इससे वायरस को फेफौंकी कोशिकाओं में पहुंचाने में विरो सकती है। शोध में सामने आया है कि फेफडों को सही रखने में मदद करने वाला सफेक्टेंट (एक महत्वपर्ण घटक) कोरोना से संक्रमित कुछ रोगियों में खत्म हो जाता है। शोधकर्ताओं के अनसार इसका जवाब हमारे जीन में भी छिपा हो सकता है। एक क्षमता) संभावना एसीई-2 जान म भिन्नता की हो सकती है। *दरअसल, एसीई-2 एक एंजाइम है जो फेफड़ों में कोशिकाओं की बाहरी सतह के साथ-साथ हृदय से जडता है।कोरोना से जडे शोध में शामिल अमेरिका की डॉक्टर एंथोनी फौसी का मानना है कि संक्रमण से मौत के मामलों में एक असमान्य पैटर्न दिखाई दे रहा है। कई ऐसे यवाओं की भी मौत हई है जिसमें गंभीर लक्षण नहीं थे।